राजस्थान में एक बार फिर से पेपर लीक घोटाले ने शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बार मामला एक स्कूल लेक्चरर से जुड़ा है, जिसने कथित तौर पर 25 लाख रुपये में परीक्षा का पेपर खरीद कर न केवल परीक्षा में भाग लिया, बल्कि मेरिट सूची में 20वें स्थान पर भी पहुंच गई। यह मामला जितना चौंकाने वाला है, उतना ही परेशान करने वाला भी, क्योंकि इससे न केवल मेधावी छात्रों का हक मारा गया, बल्कि सिस्टम की ईमानदारी पर भी बट्टा लगा है।
जयपुर एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की टीम ने इस स्कूल लेक्चरर को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है, जो कि बीते कुछ हफ्तों से फरार चल रही थी। जांच में पता चला है कि आरोपी महिला अपने भाई के माध्यम से पेपर माफिया से जुड़ी थी। जैसे ही उसका भाई पकड़ा गया, वह अंडरग्राउंड हो गई थी। एसओजी की कई टीमें उसकी तलाश में जुटी थीं और आखिरकार एक गुप्त सूचना के आधार पर उसे दबोच लिया गया।
पुलिस सूत्रों की मानें तो आरोपी महिला ने वर्ष 2022 में हुई स्कूल लेक्चरर की भर्ती परीक्षा में भाग लिया था। इस परीक्षा में उसने टॉप 20 में स्थान पाया था और जल्द ही उसे नियुक्ति भी मिल गई थी। लेकिन जांच एजेंसियों को जब पेपर लीक मामले में कुछ संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिली और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच की गई, तो उसमें इस लेक्चरर का नाम सामने आया।
जांच में यह भी सामने आया है कि महिला ने अपने भाई के कहने पर 25 लाख रुपये में पेपर खरीदा था। पेपर परीक्षा से एक दिन पहले ही उसे पहुंचा दिया गया था। उसने रातभर पढ़ाई कर अगली सुबह परीक्षा दी और हाई मेरिट में आ गई। यह पूरा मामला उस समय उजागर हुआ जब पेपर लीक मामले में गिरफ्तार आरोपियों के कॉल रिकॉर्ड्स और चैट हिस्ट्री खंगाली गई। उनमें इस लेक्चरर और उसके भाई के बीच पेपर संबंधी बातचीत की पुष्टि हुई।
एसओजी ने बताया कि महिला ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कई जगहों पर छिपने की कोशिश की। कभी वह राजस्थान के सीमावर्ती गांवों में रही, तो कभी मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन में जाकर रही। कई बार उसने अपना हुलिया भी बदला ताकि कोई उसे पहचान न सके। लेकिन उसके बैंक ट्रांजैक्शन्स, कॉल डिटेल्स और कुछ सोशल मीडिया एक्टिविटी की मदद से पुलिस ने उसका पीछा करना जारी रखा और अंततः उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इस केस में अब तक 20 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें परीक्षा केंद्रों के कुछ अधिकारी, पेपर सप्लायर्स, और कई उम्मीदवार शामिल हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह कोई एक-दो व्यक्तियों का काम नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह है जो परीक्षा के पहले रात में उम्मीदवारों को पेपर उपलब्ध कराता था। हर उम्मीदवार से मोटी रकम वसूली जाती थी — रेट मेरिट के अनुसार तय होता था।
पेपर लीक केस की इस कड़ी में लेक्चरर की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो गया है कि शिक्षा विभाग में भी अब तक कई ऐसे चेहरे नियुक्त हो चुके हैं, जिन्होंने गलत तरीके अपनाकर नौकरियां हासिल की हैं। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि असली मेहनती और योग्य उम्मीदवारों का हक भी छीना जा रहा है।
राज्य सरकार ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है और ऐसे सभी उम्मीदवारों की पुनः जांच कराने का निर्णय लिया है जो संदेहास्पद तरीके से चयनित हुए हैं। यदि किसी भी चयन में पेपर लीक से संबंधित कोई भूमिका पाई गई, तो न केवल नियुक्ति रद्द की जाएगी, बल्कि संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर जेल भेजा जाएगा।
वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर आमजन और छात्रों में भारी नाराजगी है। सोशल मीडिया पर लोग इसे “मेहनत का मज़ाक” और “योग्यता की हत्या” बता रहे हैं। कई प्रतियोगी छात्रों ने सरकार से मांग की है कि पेपर लीक मामले में शामिल सभी दोषियों को त्वरित न्याय दिलाया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए परीक्षा प्रणाली को तकनीकी रूप से और अधिक मजबूत बनाया जाए।
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