राजस्थान की राजधानी जयपुर में इन दिनों एक अनोखा और असरदार विरोध देखने को मिल रहा है। यहां के व्यापारियों ने एकजुट होकर तुर्की से आने वाले सेबों की सप्लाई पर पूर्ण रोक लगाने का ऐलान कर दिया है। जयपुर फल मंडी में अब तुर्की से आयातित सेव की आवक पूरी तरह से बंद कर दी गई है। यह कदम तुर्की के भारत विरोधी बयानों और लगातार पाकिस्तान समर्थक रुख के विरोध में उठाया गया है।
व्यापार महासंघ और फल व्यापारियों की संयुक्त बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। इसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अब जयपुर की फल मंडियों में तुर्की से आयातित कोई भी उत्पाद, विशेष रूप से सेव, नहीं बेचे जाएंगे। इस निर्णय का असर तुरंत दिखा और फल मंडियों में तुर्की से आने वाले सेवों की आपूर्ति पूरी तरह से रुक गई है।
जयपुर फल व्यापार संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि तुर्की बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ बयानबाजी करता रहा है और कश्मीर मुद्दे पर भारत की नीतियों का विरोध करता आया है। इसके चलते देश के व्यापारियों में नाराज़गी है। व्यापार संघों का मानना है कि जब कोई देश भारत के हितों के खिलाफ जाता है, तो उसके उत्पादों को अपने बाजारों में जगह नहीं दी जानी चाहिए।
सेबों की आपूर्ति रुकने का असर सीधे बाजार पर पड़ा है। मंडियों में अब केवल कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड से आए सेव ही मिल रहे हैं। व्यापारी वर्ग का कहना है कि देश के किसानों को भी इससे सीधा लाभ मिलेगा। तुर्की से आयात होने वाले सेव आमतौर पर कम कीमत में अधिक मात्रा में आते थे, जिससे स्थानीय उत्पादों की मांग प्रभावित होती थी। अब इस प्रतिबंध से भारतीय किसानों के उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी और उन्हें बेहतर दाम भी मिलेंगे।
व्यापार महासंघ ने सिर्फ आयातित सेवों पर ही नहीं, बल्कि तुर्की के प्रति अपने गुस्से को और व्यापक बनाते हुए, फिल्म और विज्ञापन जगत से भी अपील की है कि वे अब तुर्की को शूटिंग लोकेशन के रूप में इस्तेमाल न करें। उनका कहना है कि जब तुर्की भारत के प्रति संवेदनशील नहीं है, तो भारत को भी तुर्की की ब्रांडिंग और प्रचार प्रसार का माध्यम नहीं बनना चाहिए।
इस संदर्भ में महासंघ ने बॉलीवुड और अन्य क्षेत्रीय फिल्म इंडस्ट्री से आग्रह किया है कि वे तुर्की में फिल्मों की शूटिंग न करें, जिससे उस देश की पर्यटन और इकोनॉमी को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने विज्ञापन एजेंसियों और ब्रांड कंपनियों से भी अपील की है कि वे तुर्की में कोई प्रमोशनल एक्टिविटी न करें, जिससे वहां की छवि को फायदा पहुंचे।
इस पूरे विरोध को व्यापारियों का “आर्थिक जवाब” माना जा रहा है। उनका मानना है कि जब कूटनीतिक स्तर पर सरकार अपनी रणनीति अपनाती है, तब जनता और व्यापारिक समुदाय को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और ऐसा कदम उठाना चाहिए जिससे विरोध करने वाला देश आर्थिक रूप से दबाव में आए।
जयपुर मंडी में आमतौर पर तुर्की से हर महीने हजारों क्विंटल सेव आते थे। लेकिन बीते कुछ दिनों से जैसे ही यह आंदोलन शुरू हुआ, आयातकों ने ऑर्डर रद्द करना शुरू कर दिया। स्थानीय मंडियों में व्यापारियों ने तुर्की सेवों को स्टॉक से हटा दिया और खुले तौर पर इस पर रोक की घोषणा की। इससे कश्मीर और हिमाचल के बागानों से अधिक मांग उठ रही है, जो किसानों के लिए राहत भरी खबर है।
इस पूरे अभियान को सोशल मीडिया पर भी खूब समर्थन मिल रहा है। जयपुर के व्यापारियों की इस पहल को देशभक्ति से जोड़कर देखा जा रहा है, और कई युवाओं व सामाजिक संगठनों ने भी इसे सराहा है। कुछ लोग इसे ‘लोकल फॉर वोकल’ की दिशा में एक ठोस कदम बता रहे हैं।
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