देखिए, जब हम किसी कुंडली में राहु की स्थिति की बात करते हैं, तो सबसे पहले हमें यह समझना होता है कि राहु क्या दर्शाता है। राहु कोई भौतिक ग्रह नहीं है, यह एक छाया ग्रह है, लेकिन इसका प्रभाव काफी गहरा और रहस्यमयी होता है। ये ऐसा ग्रह है जो भ्रम, छल, आकांक्षाएं और अधूरी इच्छाओं को दर्शाता है। और जब राहु किसी भाव में बैठता है, तो उस भाव की सारी ऊर्जा को अपने तरीके से मोड़ देता है। आज हम बात कर रहे हैं राहु के दूसरे भाव में होने की—जो कि व्यक्ति की वाणी, धन, पारिवारिक जड़ों और मूल्य प्रणाली से जुड़ा होता है।
दूसरा भाव कुंडली में बेहद महत्वपूर्ण होता है। ये वो भाव है जो बताता है कि आप किस प्रकार बोलते हैं, आपके पास कैसा और कितना धन होगा, आपका पारिवारिक माहौल कैसा रहेगा और जीवन में आप किन मूल्यों पर चलते हैं। अब जब राहु इस भाव में आता है, तो वह इन सभी क्षेत्रों में एक रहस्य, असामान्यता या तीव्र इच्छा जोड़ देता है। ऐसे व्यक्ति की वाणी बहुत प्रभावशाली हो सकती है, लेकिन उसमें चालाकी, बनावट या छुपे हुए इरादे भी हो सकते हैं। बात को घुमा-फिराकर कहने की कला इनमें स्वाभाविक रूप से होती है, जिससे ये बहुत अच्छे वक़्ता बन सकते हैं। लेकिन अगर राहु पीड़ित हो, तो वाणी में कटुता, झूठ या गाली-गलौच तक आ सकती है।
अब बात करें धन की, तो राहु यहाँ बैठकर व्यक्ति को अपार धन की लालसा दे सकता है। ऐसे लोग हमेशा पैसा कमाने के नए-नए तरीके ढूंढ़ते रहते हैं, और कई बार शॉर्टकट की तरफ भी आकर्षित हो सकते हैं। विदेशी स्रोतों से धन कमाने की प्रबल संभावना रहती है—जैसे विदेश में व्यापार करना, मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करना या फिर ऑनलाइन माध्यम से कमाई करना। मगर अगर राहु नीच भावों से दृष्ट है या उसके साथ अशुभ ग्रह हैं, तो धन अचानक आता है और अचानक चला भी जाता है। व्यक्ति को धोखे, चोरी, या टैक्स से जुड़ी समस्याएँ भी हो सकती हैं।
जहाँ तक पारिवारिक जीवन की बात है, राहु का दूसरे भाव में होना पारिवारिक पृष्ठभूमि में कुछ रहस्य या दूरी ला सकता है। ऐसे व्यक्ति अपने परिवार से भावनात्मक रूप से थोड़े कटे-कटे हो सकते हैं। कई बार इनके जीवन में कोई पारिवारिक राज छिपा होता है, जो बाद में सामने आता है। अगर राहु शुभ हो तो जातक अपने परिवार को बहुत महत्व देता है लेकिन उस महत्व को प्रदर्शित करने में झिझक या दूरी दिखा सकता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या राहु का यह प्रभाव हर किसी पर समान होता है? नहीं, राहु का असर काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस राशि में स्थित है और किस नक्षत्र में बैठा है। जैसे अगर राहु वृषभ राशि में है—जो कि दूसरा भाव खुद दर्शाता है—तो व्यक्ति बहुत ही तार्किक सोच वाला, व्यवहारिक और धन की तरफ केंद्रित होगा। वहीं अगर राहु मिथुन में है तो बातों में चतुराई, चालाकी और पब्लिक स्पीकिंग का जबरदस्त टैलेंट देखने को मिलता है। परंतु यदि राहु कर्क या वृश्चिक में हो, तो व्यक्ति भावनाओं में उलझा हुआ, और बोलचाल में कई बार अस्थिर हो सकता है।
नक्षत्र भी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। राहु अगर अश्विनी, मृगशिरा या रोहिणी जैसे नक्षत्रों में हो, तो जातक की महत्वाकांक्षा अत्यंत तीव्र होती है। वो चाहेगा कि लोग उसकी बातों से प्रभावित हों, और वो हर कीमत पर आर्थिक सफलता पाना चाहता है। मगर नक्षत्र अगर शनि प्रधान या क्रूर ग्रहों से जुड़ा हो, तो वाणी में रुखापन और पैसा गलत साधनों से कमाने की प्रवृत्ति भी आ सकती है।
अब आइए थोड़ा गोचर पर बात करें। जब राहु गोचर में दूसरे भाव से गुजरता है, तो उस समय व्यक्ति के खर्चे अचानक बढ़ सकते हैं। वाणी से विवाद बढ़ सकते हैं, और परिवार में किसी प्रकार की गलतफहमी उत्पन्न हो सकती है। उस समय में सलाह दी जाती है कि व्यक्ति जितना हो सके, शांत रहे और बोलने से पहले दो बार सोचे। क्योंकि राहु भ्रम फैलाता है और आपकी कही बातों को लोग गलत अर्थ में भी ले सकते हैं।
राहु की महादशा और अंतरदशा का समय भी खास होता है, अगर राहु कुंडली के दूसरे भाव में है। उस समय व्यक्ति को धन संबंधित अवसर बहुत मिलते हैं, लेकिन निर्णय सोच-समझकर लेने होते हैं। वाणी से बहुत बड़ा लाभ भी हो सकता है, खासकर अगर व्यक्ति वक्ता, लेखक, सेल्स, मीडिया या यूट्यूब से जुड़ा हो। लेकिन अगर राहु पीड़ित हो तो बोलने से नुकसान, कानूनी झंझट या झूठे वादों में फँसने की स्थिति भी बन सकती है।
स्वास्थ्य की बात करें तो राहु के दूसरे भाव में होने पर जातक को गले, मुँह, दांत, जिव्हा या थायरॉइड जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। कभी-कभी ऐसे लोग बोलते ज्यादा हैं, लेकिन सुनते कम हैं, जिससे मानसिक थकावट और गले की परेशानियाँ होती हैं। साथ ही, भोजन से जुड़ी एलर्जी या ओवरईटिंग की आदतें भी देखी जाती हैं।
अब एक जरूरी बात—अगर राहु के साथ शुक्र या बुध हो, तो व्यक्ति बहुत अच्छे बिज़नेस मैन या पब्लिक स्पीकर हो सकते हैं। ऐसे लोग मीठा बोलकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लेकिन अगर राहु के साथ शनि, मंगल या केतु हो जाए तो बोलचाल में गुस्सा, कटुता, और आक्रामकता आ सकती है। पैसा अचानक बनता है, लेकिन उसी तेजी से चला भी जाता है।
अब सवाल आता है—राहु के नकारात्मक प्रभाव से कैसे बचा जाए? तो देखिए, सबसे पहले तो अपनी वाणी पर संयम रखें। राहु ऐसे लोगों की परीक्षा लेता है जो बोलने में लापरवाह होते हैं। राहु के उपायों में काले तिल का दान, चांदी धारण करना, राहु के बीज मंत्र (“ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”) का जाप, और हनुमान चालीसा का नियमित पाठ शामिल है। इसके अलावा शनिवार के दिन गरीबों को भोजन कराने से भी राहु शांत होता है।
और अंत में, मैं यही कहूँगा कि राहु का दूसरे भाव में होना न तो पूरी तरह वरदान है, न पूरी तरह अभिशाप। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के पास आत्म-अन्वेषण और आत्म-नियंत्रण के ज़रिए बहुत कुछ हासिल करने की क्षमता होती है। आप अगर अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें, धन को सही मार्ग से प्राप्त करें, और परिवार के साथ पारदर्शिता बनाए रखें, तो राहु आपको बहुत ऊँचाई तक ले जा सकता है।
तो अगर आपकी कुंडली में राहु दूसरे भाव में है, तो घबराइए मत। बस उसे समझिए, स्वीकार कीजिए, और उसी के अनुसार अपने जीवन में दिशा तय कीजिए। राहु हमेशा गुमराह नहीं करता—वो सिर्फ आपको आपके कर्मों का आईना दिखाता है। अब ये आप पर है कि आप उस आईने में क्या देखना चाहते हैं।