छठे भाव में राहु की उपस्थिति को वैदिक ज्योतिष में विशेष महत्व दिया जाता है। यह भाव शत्रु, रोग, ऋण, संघर्ष, प्रतियोगिता, सेवा, और न्याय से संबंधित होता है। राहु, जो कि मायाजाल, विदेशी तत्व, छुपे हुए शत्रु और असामान्यता का प्रतीक है, जब इस भाव में आता है तो व्यक्ति के जीवन में चुनौतियों से जूझने की अद्भुत क्षमता देता है। लेकिन साथ ही यह स्थिति व्यक्ति को कई बार अनजाने विवादों, स्वास्थ्य समस्याओं और मानसिक तनावों की ओर भी ले जा सकती है।
राहु जब छठे भाव में होता है, तो जातक में जबरदस्त प्रतिस्पर्धात्मक भावना विकसित होती है। ये लोग अपने विरोधियों से हार मानने वालों में नहीं होते। इनका जीवन एक तरह से संघर्षों से भरा रहता है लेकिन ये संघर्ष उन्हें कमजोर नहीं करते, बल्कि और अधिक दृढ़ बनाते हैं। ऐसे व्यक्ति कानून, प्रशासन, पुलिस, सेना या न्याय से जुड़े क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं क्योंकि इनका झुकाव चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों की ओर होता है।
इस स्थान पर राहु व्यक्ति को अपने शत्रुओं को पराजित करने की अद्भुत रणनीति और मानसिक चतुराई देता है। वे सीधे संघर्ष करने के बजाय गुप्त रूप से अपने विरोधियों को मात देने में विश्वास रखते हैं। इन्हें अपने विरोधियों की मानसिकता को समझने और उसके अनुसार प्रतिक्रिया देने की गहरी समझ होती है। यही कारण है कि इनका नाम अकसर कोर्ट-कचहरी, ऑफिस पॉलिटिक्स या समाजिक प्रतिस्पर्धा में लिया जाता है।
छठे भाव में राहु होने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से पेट, आंतों, विषाक्तता, नशे की लत या एलर्जी जैसी समस्याएँ। लेकिन यदि राहु शुभ प्रभाव में हो और छठे भाव का स्वामी मजबूत हो, तो व्यक्ति इन समस्याओं को मात देकर और अधिक मजबूत बनता है। कई बार ऐसे व्यक्ति alternative healing, आयुर्वेद, या मानसिक चिकित्सा में रुचि लेते हैं और दूसरों को भी ठीक करने की क्षमता रखते हैं।
राहु की इस स्थिति के कारण व्यक्ति का झुकाव विदेशी जीवनशैली, अनौपचारिक कामों या गुप्त कार्यों की ओर हो सकता है। कभी-कभी यह placement व्यक्ति को गुप्तचर, खोजी पत्रकार, स्पाई या रिसर्च एनालिस्ट जैसे क्षेत्रों में ले जाता है। राहु यहाँ व्यक्ति को जोखिम लेने की प्रवृत्ति देता है, जिससे ये लोग अनेक बार नियमों की सीमा को पार कर जाते हैं।
छठे भाव राहु व्यक्ति को ऋणों से जोड़ सकता है। जातक को कई बार अनचाहे कर्ज उठाने पड़ते हैं या कोई आर्थिक दबाव लगातार बना रहता है। लेकिन सकारात्मक रूप से देखें तो राहु इन्हें इससे निपटने की कला भी सिखा देता है। ये लोग financial strategy और debt management में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं। यदि राहु कमजोर हो, तो यह आर्थिक हानि, कानूनी विवाद और मानसिक चिंता का कारण भी बन सकता है।
राहु का छठे भाव में होना व्यक्ति को मानसिक रूप से सतर्क और शंकालु बना सकता है। ये लोग दूसरों की बातों पर आसानी से भरोसा नहीं करते और हर चीज़ की तह तक जाने की कोशिश करते हैं। यह स्वभाव कई बार इन्हें अत्यधिक तनाव और अनावश्यक चिंता में भी डाल सकता है। लेकिन वहीं ये लोग किसी भी रहस्य या समस्या को सुलझाने में अत्यंत दक्ष होते हैं।
यदि राहु की महादशा या अंतरदशा चल रही हो और वह छठे भाव में स्थित हो, तो यह काल जीवन में संघर्ष, शत्रुता और कानूनी मुद्दों से भरा हो सकता है। लेकिन यदि व्यक्ति धैर्य और विवेक से काम ले, तो वह इन चुनौतियों से विजयी होकर और अधिक मजबूत बन सकता है। राहु की दशा में कभी-कभी व्यक्ति को विदेश यात्रा, अप्रत्याशित बीमारी या कोर्ट-कचहरी से जुड़ी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
राहु के गोचर का प्रभाव भी छठे भाव से गुजरते समय विशेष होता है। यह समय व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य, कामकाजी जीवन और कानूनी मामलों पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है। यह गोचर विरोधियों की संख्या बढ़ा सकता है, लेकिन साथ ही उन्हें पराजित करने की क्षमता भी प्रदान करता है। कई बार इस अवधि में व्यक्ति अचानक निर्णय लेता है, जो दीर्घकालीन परिणाम ला सकते हैं।
राहु की अन्य ग्रहों के साथ युति छठे भाव में अलग-अलग परिणाम दे सकती है। यदि राहु और मंगल की युति हो तो व्यक्ति में जबरदस्त ऊर्जा, साहस और आक्रामकता आती है, लेकिन कभी-कभी यह युति हिंसक प्रवृत्ति और दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ा सकती है। राहु और शनि की युति व्यक्ति को strategic और गंभीर बनाती है, लेकिन साथ ही डिप्रेशन और भय का कारण भी बन सकती है। राहु और शुक्र की युति गुप्त संबंध, sensuality और विलासिता की ओर झुका सकती है, विशेष रूप से workplace में।
महिला की कुंडली में छठे भाव में राहु होने पर कई बार दांपत्य जीवन में संघर्ष, कोर्ट-कचहरी, या वैवाहिक जीवन में गोपनीयता का विषय बन सकता है। ऐसी महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर बहुत सजग होती हैं और अपने लिए लड़ना जानती हैं। लेकिन कभी-कभी ये भावनात्मक रूप से अकेलापन महसूस करती हैं क्योंकि राहु रिश्तों में भ्रम पैदा करता है।
राहु छठे भाव में जातक को समाज के सामान्य ढांचे से हटकर सोचने की क्षमता देता है। वे परंपरागत नियमों को तोड़कर अपना रास्ता बनाने में विश्वास रखते हैं। यह स्थिति उन्हें एक rebel या बदलाव लाने वाला व्यक्ति बना सकती है। लेकिन यदि ये ऊर्जा सही दिशा में उपयोग न हो, तो ये लोग स्वयं के लिए ही संकट खड़ा कर सकते हैं।
इस स्थिति में राहु को शांत करने के लिए कुछ विशेष उपाय अत्यंत लाभकारी हो सकते हैं। राहु मंत्र का जाप, विशेष रूप से ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’, हर रोज़ करना, शनिवार को छायादान, नीले वस्त्र पहनना, और सरसों के तेल में देख कर दान देना लाभदायक होता है। साथ ही, नियमित ध्यान, संयमित जीवनशैली और सकारात्मक संगति राहु के प्रभाव को संतुलित करती है।
राहु का छठे भाव में होना एक शक्तिशाली स्थिति है, जो व्यक्ति को अपने जीवन की चुनौतियों से लड़ने की अद्वितीय क्षमता देता है। यदि जातक अपने अंदर की शक्ति को पहचान ले और सही दिशा में प्रयत्न करे, तो वह किसी भी संघर्ष को जीतने की क्षमता रखता है। यह स्थान व्यक्ति को अंततः विजेता बनने की ओर ले जाता है, बशर्ते वह अपने भ्रम और अनावश्यक डर से ऊपर उठे।
यह राहु जातक को आत्मविश्वास, रणनीति और लड़ाकूपन की त्रिवेणी प्रदान करता है। यह गुण उन्हें एक चुपचाप लड़ने वाला योद्धा बनाते हैं, जो शांति से रहना जानता है लेकिन आवश्यकता पड़ने पर किसी भी स्तर की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहता है।