Rahu in 10th house

दशम भाव को कुंडली में कर्म, पेशा, सामाजिक प्रतिष्ठा, पद-प्रतिष्ठा, और जीवन में मिलने वाले यश-अपयश से जोड़ा जाता है। जब राहु इस भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति की पेशेवर यात्रा को असामान्य, आकर्षक और कभी-कभी अस्थिर दिशा में ले जाता है। राहु एक मायावी और महत्वाकांक्षी ग्रह है, जो व्यक्ति में तीव्र सफलता की भूख और सामाजिक स्तर पर अलग पहचान बनाने की लालसा को बढ़ाता है। जब यह ग्रह दशम भाव में आता है, तो व्यक्ति की मेहनत और छवि पर विशेष प्रभाव डालता है।

इस स्थिति में राहु व्यक्ति को एक अलग और विशिष्ट करियर पथ पर ले जाता है। ये लोग अक्सर पारंपरिक नौकरी या व्यवसाय से हटकर कुछ ऐसा करना पसंद करते हैं जो समाज में चर्चा का विषय बने। राहु यहाँ व्यक्ति को ग्लैमर, तकनीक, फिल्म, राजनीति, विदेशी कंपनियों, जासूसी, खुफिया एजेंसियों, या इंटरनेट आधारित करियर की ओर आकर्षित कर सकता है। इस राहु के प्रभाव से व्यक्ति हमेशा भीड़ से अलग दिखना चाहता है और उसका उद्देश्य केवल पैसा कमाना नहीं, बल्कि प्रभाव जमाना भी होता है।

दशम भाव में राहु जातक को सामाजिक छवि को लेकर अत्यधिक सजग और महत्वाकांक्षी बना देता है। ये लोग अपने पद, प्रतिष्ठा और स्टेटस को लेकर इतने सजग होते हैं कि कभी-कभी किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। ये राहु जातक को आक्रामक रणनीति अपनाने वाला बना सकता है, जिससे व्यक्ति प्रतियोगिता में आगे बढ़ तो जाता है लेकिन आलोचना का शिकार भी हो सकता है। अगर राहु शुभ ग्रहों के साथ हो, तो यह अत्यधिक यश और प्रसिद्धि दिलाता है, लेकिन यदि राहु पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो यह व्यक्ति को विवाद, घोटालों या कानूनी मामलों में भी फंसा सकता है।

राहु की यह स्थिति व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में जोखिम उठाने वाला बनाती है। ऐसे जातक सुरक्षित या स्थिर करियर की जगह ऐसे क्षेत्रों में जाते हैं जहाँ असफलता का खतरा अधिक होता है लेकिन सफलता मिलने पर पुरस्कार भी बहुत बड़ा होता है। राहु का यह प्रभाव उन्हें स्टार्टअप, क्रिप्टोकरेंसी, मीडिया, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स या राजनीति जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ाता है। ये व्यक्ति कई बार अपने कार्यों से अचानक प्रसिद्धि पा जाते हैं, और फिर उतनी ही तेजी से विवादों में भी घिर सकते हैं।

दशम भाव का संबंध पिता के प्रभाव और मार्गदर्शन से भी होता है। राहु की यहां स्थिति व्यक्ति के अपने पिता के साथ संबंधों में जटिलता या दूरी ला सकती है। कई बार व्यक्ति को पिता से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता या उनके विचारों से भिन्न दृष्टिकोण रखने के कारण टकराव की स्थिति बन जाती है। यह राहु जातक को पिता की तुलना में अधिक तेज, महत्वाकांक्षी और स्वतंत्र बना देता है। अगर सूर्य और शनि इस राहु के साथ अशुभ स्थिति में हों, तो व्यक्ति को पिता से अलग रहकर अपना जीवन बनाना पड़ सकता है।

दशम भाव में राहु जातक को सार्वजनिक जीवन का हिस्सा बनने की तीव्र इच्छा देता है। ये लोग मीडिया, मंच, सोशल मीडिया, या राजनीति के माध्यम से खुद को एक पहचान देना चाहते हैं। इनकी इच्छा रहती है कि लोग इन्हें जानें, पहचानें और सराहें। राहु यहां जातक को लोकप्रियता और छवि को साधन बना कर लक्ष्यों को हासिल करने का हुनर देता है। लेकिन अगर यह राहु नैतिकता से भटक जाए तो व्यक्ति झूठ, दिखावा, या चालाकियों से भी सफलता हासिल करने की कोशिश कर सकता है।

यह राहु व्यक्ति को जीवन में कई बार करियर परिवर्तन के लिए बाध्य करता है। एक ही क्षेत्र में स्थायित्व बनाए रखना राहु के प्रभाव में मुश्किल हो सकता है। व्यक्ति एक क्षेत्र में बहुत ऊपर पहुँचता है, लेकिन फिर अचानक नीचे गिरता है या रुचि बदल कर नए क्षेत्र में चला जाता है। यह चंचलता उसके करियर को गतिशील बनाए रखती है, लेकिन अगर समय पर सही दिशा न मिले तो यह अस्थिरता भी बन सकती है।

राहु की दशा या अंतरदशा जब दशम भाव में हो, तो व्यक्ति के जीवन में कार्य और छवि से जुड़े बड़े बदलाव आते हैं। यह समय व्यक्ति को अचानक प्रसिद्धि, उन्नति या प्रतिष्ठा दिला सकता है, लेकिन साथ ही उसे ईर्ष्या, विरोध, या कानूनी मामलों से भी जूझना पड़ सकता है। यह दशा कई बार व्यक्ति के लिए दोधारी तलवार बन जाती है, जहाँ एक ओर अवसर होते हैं, वहीं दूसरी ओर खतरे भी। ऐसे समय में सोच-समझ कर लिए गए निर्णय ही सफलता दिला सकते हैं।

राहु दशम भाव में जातक को तकनीकी कौशल, रणनीतिक सोच और सार्वजनिक छवि पर नियंत्रण रखने की कला सिखाता है। ये लोग अक्सर ऐसे क्षेत्रों में सफलता पाते हैं जहाँ लोगों को प्रभावित करने की आवश्यकता होती है। यदि बुध और शुक्र जैसे ग्रह राहु के साथ अनुकूल हों, तो जातक बहुत प्रभावशाली वक्ता, अभिनेता, या डिप्लोमैट बन सकता है। ये लोग सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर, यूट्यूबर, डिजिटल एंटरप्रेन्योर या पॉलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट जैसी भूमिकाओं में तेजी से उभर सकते हैं।

इस राहु की सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि व्यक्ति कभी संतुष्ट नहीं होता। उसे हमेशा लगता है कि उसे और ऊपर जाना है, और उसकी सफलता अधूरी है। यह असंतोष उसे लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा तो देता है, लेकिन अगर यह अति में बदल जाए तो व्यक्ति जीवन के अन्य पहलुओं जैसे रिश्ते, स्वास्थ्य और आत्मिक संतुलन को नजरअंदाज करने लगता है। राहु व्यक्ति को संतुलन सिखाने आता है, और यही सीख दशम भाव में सबसे महत्वपूर्ण होती है।

इस राहु की शांति और सकारात्मकता बनाए रखने के लिए नियमित रूप से राहु मंत्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” का जाप करना, नीले या भूरे रंग के वस्त्र पहनना, छायादान करना, और शनिवार के दिन गरीबों में सरसों का तेल दान करना लाभकारी होता है। साथ ही, पिता और वरिष्ठों के प्रति सम्मान बनाए रखना और नैतिक मूल्यों को महत्व देना राहु को संतुलित करता है।

दशम भाव में राहु व्यक्ति को बड़ा बनने की, कुछ नया और अनोखा करने की प्रेरणा देता है। यह राहु साधारण राह नहीं चाहता, बल्कि एक ऐसा रास्ता चाहता है जहाँ जोखिम हो, लेकिन पुरस्कार भी अद्वितीय हो। यदि व्यक्ति इस राहु की ऊर्जा को सही दिशा में लगाए, तो वह न केवल अपने क्षेत्र में ऊँचाइयाँ छू सकता है, बल्कि समाज में प्रेरणा का स्रोत भी बन सकता है।

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