पटना एक बार फिर सनसनीखेज और दुखद वारदात का गवाह बना है, जहाँ जाने-माने व्यापारी और भाजपा से जुड़े गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना शहर के सबसे व्यस्त और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाने वाले गांधी मैदान इलाके में उस समय हुई जब वे देर रात अपने आवास लौट रहे थे। जिस जगह यह वारदात हुई, वहां से विधानसभा, सचिवालय और पुलिस मुख्यालय कुछ ही दूरी पर हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर गम्भीर सवाल उठने लगे हैं।
गोपाल खेमका बिहार के प्रसिद्ध व्यापारियों में से एक थे। उनका कारोबार रियल एस्टेट, स्वास्थ्य सेवाएं और हॉस्पिटैलिटी से जुड़ा हुआ था। वे मगध हॉस्पिटल जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं से जुड़े हुए थे और कई सामाजिक संस्थानों में भी सक्रिय भूमिका निभाते थे। इसके अलावा वे भाजपा के प्रभावशाली समर्थकों में गिने जाते थे। उनका एक बेटा, गुंजन खेमका, पहले ही कुछ साल पहले वैशाली में हत्या का शिकार बन चुका था। अब पिता की इस तरह हत्या हो जाना इस परिवार के लिए दोहरा झटका है, वहीं यह संकेत भी देता है कि अपराधी किस हद तक निडर हो चुके हैं।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, जब गोपाल खेमका अपने आवास लौट रहे थे, तभी हमलावरों ने मौका देखकर उन पर एक के बाद एक गोलियां दागीं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, गोली चलने की आवाज के बाद अफरा-तफरी मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे। हमलावर बाइक पर सवार थे और उन्होंने हेलमेट पहन रखा था ताकि उनकी पहचान न हो सके। घटनास्थल पर पुलिस को एक गोली की खोल भी मिली है, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह एक योजनाबद्ध हत्या थी।
इस वारदात के तुरंत बाद पटना पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और घटनास्थल को घेर लिया गया। फॉरेंसिक टीम को बुलाकर साक्ष्य जुटाए गए और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी कब्जे में ली गई है। हालांकि, अब तक हमलावरों की पहचान नहीं हो पाई है। पुलिस कई एंगल से जांच कर रही है—जिनमें पुरानी व्यावसायिक दुश्मनी, जमीन विवाद, पारिवारिक रंजिश, और राजनीतिक कारणों की संभावना भी शामिल है।
खेमका की हत्या की खबर फैलते ही पूरे कारोबारी वर्ग में गुस्से की लहर दौड़ गई। व्यापार मंडल, विभिन्न उद्योग संघों और स्थानीय निवासियों ने प्रशासन के खिलाफ रोष प्रकट किया और जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। वहीं, बिहार की राजनीति भी इस हत्याकांड से गर्मा गई है। विपक्षी नेताओं ने इसे जंगलराज की संज्ञा दी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कानून व्यवस्था को लेकर तीखे सवाल उठाए हैं।
जदयू से अलग होकर सक्रिय हुए पप्पू यादव और राजद नेताओं ने घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की और सरकार पर अपराधियों को खुली छूट देने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि यदि गुंजन खेमका की हत्या की जांच और सख्त कार्रवाई समय पर होती, तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य हत्या नहीं बल्कि एक सोची-समझी साजिश है, जिसका उद्देश्य डर का माहौल बनाना है।
इस बीच, राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे जल्द से जल्द इस हत्या का खुलासा करें और दोषियों को कानून के कठघरे में लाएं।
विशेषज्ञों और अपराध विश्लेषकों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में बिहार, खासकर पटना में हत्या, लूट और फिरौती जैसे अपराधों में वृद्धि हुई है। राज्य में व्यापारी वर्ग खासतौर पर निशाने पर है। आए दिन हो रही हत्याएं और अपराधिक वारदातें इस बात का संकेत हैं कि या तो अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है या फिर कानून व्यवस्था की पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है।
इस घटना ने न केवल बिहार के लोगों को झकझोर दिया है, बल्कि यह व्यापारिक समुदाय के बीच भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही है। कई व्यापारियों ने निजी सुरक्षा लेने की बात कही है और राज्य सरकार से व्यापारी सुरक्षा नीति को लागू करने की मांग की है।
निष्कर्ष
गोपाल खेमका की हत्या न केवल एक नामी व्यवसायी की मृत्यु है, बल्कि यह घटना बिहार में बढ़ते अपराध और प्रशासन की नाकामी की गवाही भी देती है। जिस तरह से दिनदहाड़े पटना जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस वारदात को अंजाम दिया गया, वह यह दिखाता है कि अपराधी अब कानून से डरते नहीं हैं। यह घटना सरकार और पुलिस के लिए एक चेतावनी है कि अगर अभी भी कानून व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं किया गया तो हालात और भी भयावह हो सकते हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार और पुलिस इस मामले में कितनी पारदर्शिता और तत्परता दिखाती है, ताकि जनता का भरोसा कायम रह सके।
Discover more from 50 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.