जापान में जुलाई 2025 की शुरुआत एक के बाद एक प्राकृतिक घटनाओं के साथ हुई है, जिसने पूरे देश में भय और अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। दक्षिणी जापान के क्यूशू द्वीप पर स्थित शिनमोएडाके ज्वालामुखी अचानक फट पड़ा, जिससे आग, राख और धुएं का बड़ा गुबार आसमान में छा गया। इससे पहले, जापान के तोकोरा द्वीप समूह में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे निवासियों और प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई।
इन घटनाओं के साथ ही एक पुरानी जापानी मंगा कॉमिक की भविष्यवाणी भी सुर्खियों में आ गई है। मंगा कलाकार रायो तत्सुकी द्वारा 1999 में प्रकाशित और बाद में 2021 में पुनर्प्रकाशित “The Future I Saw” नामक कॉमिक में 5 जुलाई 2025 को एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा आने की भविष्यवाणी की गई थी। इस भविष्यवाणी में बड़े भूकंप, त्सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट की बात कही गई थी, जो अब की घटनाओं से मेल खाती प्रतीत हो रही है। ऐसे में लोग इस मंगा को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा करने लगे हैं और भय का वातावरण बन गया है।
शिनमोएडाके ज्वालामुखी का यह विस्फोट हल्के स्तर का रहा, लेकिन इसके बाद आसपास के इलाकों में राख की परतें जमा हो गई हैं और आपातकालीन चेतावनी जारी की गई है। स्थानीय प्रशासन ने ज्वालामुखी के 2 किलोमीटर के दायरे में आने-जाने पर रोक लगा दी है। वहीं दूसरी ओर, तोकोरा द्वीप क्षेत्र में आए भूकंप ने भी हलचल मचा दी। इस क्षेत्र में कई छोटे-छोटे द्वीप हैं जहां पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं, और भूकंप के चलते स्थानीय लोगों व सैलानियों में डर का माहौल है।
रायो तत्सुकी की मंगा में जापान में 5 जुलाई को तीन बड़ी लहरें उठने, समुद्र के उबलने और जमीन फटने जैसे भयावह दृश्य दर्शाए गए हैं। इससे पहले भी इस कलाकार की कुछ भविष्यवाणियां अचूक साबित होने का दावा किया गया है, जैसे 2011 का टोहोकू भूकंप और त्सुनामी। ऐसे में कुछ लोग इसे गंभीरता से ले रहे हैं और जापान की यात्रा टालने लगे हैं। विशेष रूप से हांगकांग, ताइवान और फिलीपींस से जापान की बुकिंग में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
इस अफवाह और भय के माहौल के बीच जापान की मौसम एजेंसी और वैज्ञानिक संस्थानों ने जनता को शांत रहने की अपील की है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी प्रकार की सटीक भूकंप या ज्वालामुखी की भविष्यवाणी करना वर्तमान विज्ञान की सीमा से बाहर है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि जापान भूगर्भीय दृष्टि से एक सक्रिय क्षेत्र है और यहां इस तरह की घटनाएं सामान्य हैं। ज्वालामुखी की गतिविधियां और भूकंप अक्सर एक ही समय पर हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई पूर्वनिर्धारित ‘प्रलय’ आ रहा है।
फिलहाल, प्रशासन सतर्क है और आपदा प्रबंधन दलों को तैयार रखा गया है। विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों को भूकंप और ज्वालामुखी से निपटने के लिए गाइडलाइंस भेजी गई हैं, जिसमें आपातकालीन बैग तैयार रखना, ऊंची जगहों की जानकारी रखना और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करना शामिल है। स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर भी भूकंप सुरक्षा ड्रिल करवाई जा रही हैं।
इस बीच, सोशल मीडिया पर अफवाहों का दौर जारी है। कुछ लोग मंगा की कहानी को ‘बाबा वांगा’ की भविष्यवाणियों से जोड़ रहे हैं और इसे अलौकिक चेतावनी मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे एक काल्पनिक कहानी करार दे रहे हैं जिसे अतिशयोक्ति के साथ फैलाया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने जोर देकर कहा है कि लोगों को केवल आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी लेनी चाहिए और भ्रामक प्रचार से बचना चाहिए।
हालांकि, यह स्पष्ट है कि जापान जैसे देश, जहां टेक्नोलॉजी और विज्ञान में उन्नति है, वहां भी इस तरह की अफवाहें कितनी तेजी से लोगों की मानसिकता पर असर डाल सकती हैं। यह घटनाएं यह भी दर्शाती हैं कि प्रकृति की शक्ति के सामने तकनीक और तैयारी भी कई बार असहाय हो जाती है।
निष्कर्ष
शिनमोएडाके ज्वालामुखी का विस्फोट और तोकोरा द्वीप क्षेत्र में आए भूकंप ने जापान में एक डर का वातावरण बना दिया है, जिसे मंगा कलाकार की भविष्यवाणी ने और भी गहरा कर दिया। हालांकि वैज्ञानिकों और सरकार ने किसी भी बड़ी आपदा से इन घटनाओं को जोड़ने से इनकार किया है, लेकिन आम लोगों में चिंता का माहौल बना हुआ है। अब जरूरत है कि अफवाहों से दूर रहकर सिर्फ वैज्ञानिक तथ्यों और प्रशासनिक निर्देशों पर विश्वास किया जाए। जापान इस तरह की आपदाओं से निपटने में सक्षम है, और इसके पास दुनिया के सबसे उन्नत चेतावनी और राहत सिस्टम हैं। जनता को चाहिए कि वे सतर्क रहें, लेकिन घबराएं नहीं।
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