a group of people walking down a street next to tall buildings

“क्या सच में जापान में 5 जुलाई को आएगा विनाशकारी भूकंप? मंगा की भविष्यवाणी ने बढ़ाई चिंता” “Will a Massive Earthquake Hit Japan on July 5? Manga Prediction Fuels Public Anxiety”

पिछले कुछ हफ्तों से जापान और एशिया के कई देशों में एक ही तारीख को लेकर भय का माहौल है—5 जुलाई 2025। इस तारीख को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना है एक जापानी मंगा (कॉमिक) “The Future I Saw”, जिसमें कथित तौर पर इस दिन जापान में एक विनाशकारी भूकंप और त्सुनामी की भविष्यवाणी की गई है। इस मंगा के लेखक रायो तत्सुकी हैं, जिन्होंने साल 1999 में इस ग्राफिक नॉवेल को पहली बार प्रकाशित किया था। लेकिन हाल ही में जब इसका दोबारा प्रिंट हुआ, तब उसमें कुछ पन्ने वायरल हो गए और आशंका जताई जाने लगी कि जापान के दक्षिणी तट पर 5 जुलाई को ननकै ट्रफ (Nankai Trough) क्षेत्र में विनाशकारी प्राकृतिक आपदा आ सकती है।

इस मंगा में दावा किया गया है कि लेखक ने सपना देखा था कि 5 जुलाई को जापान के समुद्रतट के करीब स्थित ननकै ट्रफ क्षेत्र में तीन बड़ी लहरें उठेंगी, जो एक विशाल त्सुनामी का संकेत देंगी। इसके साथ ही कई शहरों के जलमग्न होने, इमारतों के गिरने और हजारों लोगों की जान जाने जैसी घटनाएं दिखाई गई हैं। मंगा की इस कहानी को लेकर लोगों में भ्रम पैदा हो गया है कि क्या यह वाकई कोई पूर्व चेतावनी है या सिर्फ कल्पना पर आधारित कहानी।

असल में यह अफवाह इतनी ज़्यादा फैल गई है कि सोशल मीडिया पर जापान यात्रा रद्द करने की घोषणाएं, हवाई टिकट कैंसिल करने के स्क्रीनशॉट्स, और कई अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के कमेंट्स देखने को मिल रहे हैं। हांगकांग, ताइवान और फिलीपींस जैसे देशों में बड़ी संख्या में पर्यटकों ने जापान की छुट्टियों को या तो टाल दिया है या रोक दिया है। कुछ ट्रैवल कंपनियों को बुकिंग में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि जापान में रहने वाले कुछ स्थानीय नागरिकों में भी संशय है कि कहीं यह बात सच न हो जाए।

हालांकि, जापान की मौसम एजेंसी (JMA) और देश के प्रमुख भूकंप वैज्ञानिकों ने इस पूरे मामले को साफ तौर पर खारिज किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप को किसी एक निश्चित दिन और समय पर होने की सटीक भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। पृथ्वी की सतह के नीचे जो प्लेट्स खिसकती हैं, उनकी गतिविधि को समझ पाना बेहद जटिल है। विज्ञान के पास आज भी ऐसी कोई तकनीक नहीं है जिससे यह बताया जा सके कि किसी विशेष दिन पर कोई भूकंप आएगा या नहीं।

JMA का कहना है कि ननकै ट्रफ क्षेत्र ज़रूर भूकंप के लिए संवेदनशील है और यहां भविष्य में एक बड़ा भूकंप आने की आशंका बनी हुई है। लेकिन यह कोई नई जानकारी नहीं है। इस क्षेत्र में वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से रिसर्च कर रहे हैं और उन्होंने यह माना है कि 30 वर्षों के भीतर यहां भूकंप आने की संभावना लगभग 70 से 80 प्रतिशत है। लेकिन यह भी एक सांख्यिकीय अनुमान है, कोई निश्चित तारीख नहीं।

यह पहला मौका नहीं है जब किसी ग्राफिक नॉवेल या मंगा के आधार पर इस तरह की अफवाह फैली हो। इससे पहले भी जापान में 2011 के तोहोकू भूकंप और त्सुनामी की भयावह घटना के बाद ऐसी बातें उठीं कि रायो तत्सुकी ने उस त्रासदी की भी भविष्यवाणी की थी। उनके समर्थकों का मानना है कि उन्होंने पहले भी सही घटनाओं की भविष्यवाणी की है, इसलिए उनकी बात को नजरअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन वैज्ञानिक और प्रशासनिक एजेंसियां इसे पूरी तरह से अस्वीकार करती हैं और जनता से अपील कर रही हैं कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें।

हालांकि, इस अफवाह का असर इतना व्यापक हो गया है कि स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन तैयारी और भूकंप सुरक्षा अभियान को लेकर विशेष दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। स्कूलों में ड्रिल करवाई जा रही हैं, सरकारी वेबसाइट्स पर आपदा से बचने के उपाय प्रकाशित किए गए हैं और आम नागरिकों को अपने बैग्स तैयार रखने की सलाह दी गई है जिसमें जरूरी सामान, पानी, दवाएं और दस्तावेज हों।

पर्यटन उद्योग पर भी इसका असर दिखने लगा है। जुलाई के पहले सप्ताह में जापान घूमने आने वाले पर्यटकों की संख्या पिछले साल की तुलना में कम हो रही है। जबकि अप्रैल और मई में रिकॉर्ड तोड़ विदेशी पर्यटक आए थे, जून के आखिरी सप्ताह में आंकड़ों में गिरावट देखी जा रही है। हालांकि जापान सरकार और पर्यटन विभाग यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी अफवाहों की कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और जापान पूरी तरह सुरक्षित है।

जापान एक भूकंप-संवेदनशील देश है, इसमें कोई दो राय नहीं। यहां हर साल हजारों छोटे-बड़े भूकंप दर्ज होते हैं। लेकिन जापान का इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजास्टर मैनेजमेंट और अलर्ट सिस्टम इतने विकसित हैं कि वहां रहने वाले नागरिकों को पहले से ही भूकंप के प्रति सजग और प्रशिक्षित किया जाता है। अगर किसी बड़े भूकंप की संभावना होती भी है, तो वहां की एजेंसियां सटीक जानकारी देकर लोगों को समय रहते सतर्क कर देती हैं।

निष्कर्ष:
जुलाई 5 की तारीख को लेकर चल रही मंगा-आधारित भविष्यवाणी ने जिस तरह से लोगों में भ्रम और डर का माहौल बना दिया है, वह एक बार फिर यह साबित करता है कि सोशल मीडिया पर फैली किसी भी बात को आंख मूंदकर नहीं मान लेना चाहिए। वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर आज भी भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना असंभव है। ऐसे में लोगों को चाहिए कि वे अफवाहों से दूर रहें, आधिकारिक स्रोतों की जानकारी पर विश्वास करें और सामान्य जीवन को बिना भय के जारी रखें। मंगा की कहानी सिर्फ कल्पना है, विज्ञान का स्थान नहीं।


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