ओडिशा के पुरी में हर वर्ष आयोजित होने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा इस बार श्रद्धा के साथ-साथ अफरा-तफरी और त्रासदी का प्रतीक बन गई। मंगलवार को हुई भयानक भगदड़ की घटना ने न केवल तीर्थयात्रियों में डर का माहौल पैदा किया, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज कर दी।
घटना में दर्जनों श्रद्धालुओं के घायल होने और कुछ की हालत गंभीर होने की खबरें सामने आई हैं। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस हादसे को सीधे तौर पर प्रशासन की नाकामी करार दिया है। दोनों नेताओं ने इस घटना पर दुख जताते हुए राज्य सरकार और प्रशासन से निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है।
क्या हुआ था पुरी रथ यात्रा में?
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा ओडिशा ही नहीं, पूरे भारत के धार्मिक कैलेंडर की एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। लाखों श्रद्धालु हर साल पुरी पहुंचकर इस पावन यात्रा का हिस्सा बनते हैं। इस बार भी अनुमानतः 10 लाख से अधिक श्रद्धालु पुरी पहुंचे थे।
रथ खींचने की परंपरा जैसे ही शुरू हुई, श्रद्धालुओं की भीड़ कुछ देर में बेकाबू हो गई। भीड़ में मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी थी, और न तो दिशा-निर्देश थे, न ही पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी। इसी अव्यवस्था के चलते रथ के समीप और मुख्य मार्गों पर अचानक भगदड़ मच गई।
प्रशासन पर उठे सवाल
स्थानीय प्रशासन का दावा है कि भगदड़ एक अचानक हुए धक्का-मुक्की के कारण हुई, और उसे जल्द नियंत्रित कर लिया गया। हालांकि ज़मीनी रिपोर्ट्स और चश्मदीदों के बयान कुछ और ही इशारा करते हैं।
लोगों ने बताया कि भीड़ नियंत्रण के लिए न तो बैरिकेडिंग पर्याप्त थी और न ही इमरजेंसी सेवाएं मौके पर उपलब्ध थीं। कई श्रद्धालु घंटों तक गर्मी और भीड़ में फंसे रहे, जिससे बेहोशी, दम घुटना और दबकर घायल होने जैसी घटनाएं हुईं।
राहुल गांधी का तीखा बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने इस भगदड़ को प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा बताया। उन्होंने एक सार्वजनिक बयान में कहा:
“पुरी रथ यात्रा भारत की आस्था और परंपरा का प्रतीक है। लेकिन इस तरह की अव्यवस्था और भगदड़ राज्य प्रशासन की नाकामी को दर्शाती है। लाखों लोगों की सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।”
राहुल ने घायलों की जल्द चिकित्सा और उचित मुआवज़े की भी मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की धार्मिक घटनाओं के लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम, मेडिकल इमरजेंसी टीम और डिजिटली ट्रैक्ड भीड़ नियंत्रण जरूरी है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने भी ली प्रशासन की क्लास
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट करते हुए घटना पर शोक जताया और कहा:
“पुरी में हुई भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासनिक अक्षमता का प्रतीक है। हर साल होने वाली इस यात्रा के लिए कोई रणनीतिक प्लानिंग क्यों नहीं थी? क्या श्रद्धालुओं की जान की कीमत नहीं?”
उन्होंने आगे कहा कि इस घटना के लिए सिर्फ क्षमा याचना पर्याप्त नहीं है। ज़िम्मेदार अधिकारियों की पहचान करके उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
घायलों की स्थिति और राहत कार्य
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हादसे में 50 से अधिक श्रद्धालु घायल हुए हैं, जिनमें से करीब 15 की हालत गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय अस्पतालों में उनका इलाज चल रहा है। जिला प्रशासन की ओर से मेडिकल टीमें सक्रिय कर दी गई हैं, लेकिन हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य काफी देर से शुरू हुआ, जिससे कई लोगों को आवश्यक इलाज मिलने में देरी हुई।
पीड़ितों के परिजनों और अन्य तीर्थयात्रियों ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि सुरक्षा उपाय नाकाफी थे, और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न तो कोई इलेक्ट्रॉनिक निगरानी थी, न ही हेल्प डेस्क।
धर्मगुरुओं और स्थानीय संगठनों की भी प्रतिक्रिया
पुरी के कई प्रमुख मंदिरों से जुड़े धर्मगुरुओं और समाजसेवियों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि रथ यात्रा कोई नई घटना नहीं है, हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, फिर भी हर बार सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही क्यों होती है?
कुछ संगठनों ने यह भी मांग की है कि यात्रा के आयोजन में हाईटेक व्यवस्था, कंट्रोल रूम, और भीड़ प्रबंधन विशेषज्ञों को शामिल किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
विपक्ष ने साधा निशाना, सरकार ने क्या कहा?
जहां विपक्ष लगातार राज्य सरकार और प्रशासन पर हमलावर है, वहीं ओडिशा सरकार ने अभी तक सिर्फ प्राथमिक जांच शुरू करने की घोषणा की है। राज्य के एक मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, हम इसकी तह तक जाएंगे और जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई करेंगे।”
हालांकि यह बयान पर्याप्त नहीं माना जा रहा, क्योंकि जनता जानना चाहती है कि ऐसे आयोजन में जब हर साल भीड़ का अनुमान पहले से होता है, तो हादसों की पुनरावृत्ति क्यों हो रही है।
डिजिटल सुरक्षा तकनीक की मांग तेज
घटना के बाद तकनीकी विशेषज्ञों और शहरी योजना विशेषज्ञों ने भी यह सुझाव दिया है कि जगन्नाथ रथ यात्रा जैसे आयोजनों में अब डिजिटल तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल किया जाए।
भीड़ की संख्या को रियल टाइम ट्रैक करने वाले कैमरे, ड्रोन मॉनिटरिंग, मोबाइल अलर्ट सिस्टम, और एआई आधारित एनालिटिक्स से भीड़ के बढ़ने पर पहले ही चेतावनी दी जा सकती है। इसके साथ-साथ स्थानीय वॉलंटियर्स को प्रशिक्षित करना भी आवश्यक है।
निष्कर्ष: सिर्फ श्रद्धा नहीं, सुरक्षा भी जरूरी है
पुरी की रथ यात्रा भारत की धार्मिक विरासत और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। लेकिन यदि ऐसे आयोजनों में हर साल जानमाल की क्षति होती है, तो यह केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि जन-आस्था के साथ किया गया अन्याय है।
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से उठाए गए सवाल सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रहने चाहिए — उन्हें गंभीर चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए। श्रद्धा के इन उत्सवों में आधुनिक प्लानिंग, तकनीकी सहायता और मानवीय संवेदना को मिलाकर एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिसमें आस्था के साथ-साथ सुरक्षा भी सर्वोच्च प्राथमिकता हो।
वरना, यह रथ यात्रा भले ही भगवान के नाम पर हो, लेकिन अगर श्रद्धालु ही सुरक्षित न रहें, तो ऐसे आयोजनों की पवित्रता पर सवाल खड़े होना लाजमी है।
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