प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देशवासियों को संबोधित करते हुए आपातकाल की 49वीं बरसी पर कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान संविधान की खुलेआम हत्या की गई थी और यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय है। साथ ही उन्होंने योग के वैश्विक प्रभाव और भारत की सांस्कृतिक पहचान को लेकर भी अहम बातें कहीं।
पीएम मोदी ने साफ शब्दों में कहा, “आपातकाल वो दौर था जब देश के लोकतंत्र को कुचल दिया गया था, मीडिया को बंद कर दिया गया था, न्यायपालिका को दबाया गया था, और आम लोगों की आवाज़ को खामोश कर दिया गया था। यह सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं थी, यह हमारे संविधान और उसके मूल्यों पर सीधा हमला था।”
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में युवाओं से विशेष रूप से अपील की कि वे इतिहास को जानें, समझें और उससे सीखें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक को इसके लिए सजग रहना होगा। उन्होंने लोगों से संविधान के प्रति जागरूक रहने और लोकतांत्रिक मूल्यों को हर हाल में संरक्षित रखने की भी अपील की।
इस अवसर पर उन्होंने आपातकाल के दौरान जेल भेजे गए नेताओं और कार्यकर्ताओं का स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया और कहा कि “आज का भारत उनकी कुर्बानी की वजह से ही स्वतंत्र और लोकतांत्रिक है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के सफल आयोजन का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत की यह प्राचीन परंपरा आज पूरी दुनिया को स्वस्थ जीवन का मंत्र सिखा रही है। उन्होंने कहा कि इस साल 21 जून को योग दिवस पर 100 से ज्यादा देशों में कार्यक्रम आयोजित हुए, जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया। उन्होंने विशेष तौर पर अफ्रीकी देशों और कैरेबियन देशों में हुए योग कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि “योग आज न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि यह एक वैश्विक चेतना बन चुका है।”
प्रधानमंत्री ने युवाओं को योग अपनाने के लिए प्रेरित किया और कहा कि “योग शरीर और मन दोनों को संतुलन में रखता है। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में योग हमारी मानसिक शांति का सबसे बड़ा जरिया बन चुका है।”
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान, महिला सशक्तिकरण, स्टार्टअप्स और डिजिटल इंडिया जैसी पहलों पर भी संक्षेप में बात की। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया कि वे ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा दें और अपने आसपास के उत्पादों को प्राथमिकता दें।
कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री ने श्रोताओं को आगामी त्योहारों की शुभकामनाएं दीं और अगले माह फिर से मिलने का वादा करते हुए कहा, “देशवासियों के अनुभव, संवेदनाएं और सक्रियता ही भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी।”
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी का यह ‘मन की बात’ एपिसोड जहां एक ओर आपातकाल की कड़वी यादों को ताजा करता है, वहीं दूसरी ओर यह देश के युवाओं को लोकतंत्र और योग जैसे मूल्यों के प्रति सजग करता है। उनका यह संदेश न केवल ऐतिहासिक चेतना से जुड़ा था, बल्कि एक स्वस्थ और समृद्ध भारत की ओर प्रेरित करने वाला भी रहा।
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