जब से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई है, हर हफ्ते कोई न कोई नई फिल्म या वेब सीरीज़ सुर्खियों में रहती है। इस बार चर्चा में है सैफ अली खान और जयदीप अहलावत की नई हीस्ट ड्रामा “ज्वेल थीफ”, जो हाल ही में एक प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हुई है। इस फिल्म ने लोगों के बीच ज़बरदस्त उत्सुकता पैदा की थी, लेकिन रिलीज़ के बाद इसकी मिली-जुली प्रतिक्रिया ने सबको हैरान कर दिया है।
फिल्म का नाम ‘ज्वेल थीफ’ सुनते ही कई सिनेप्रेमियों को देव आनंद की 1967 की क्लासिक फिल्म याद आ जाती है, लेकिन यहां कहानी पूरी तरह नई और मॉडर्न प्लॉट पर आधारित है। सैफ अली खान इस फिल्म में एक रहस्यमयी लेकिन करिश्माई चोर की भूमिका में हैं, जबकि जयदीप अहलावत एक अनुभवी और जिद्दी पुलिस अधिकारी के किरदार में नज़र आते हैं। दोनों के बीच की टक्कर ही इस फिल्म की आत्मा है।
फिल्म की शुरुआत तेज़ रफ्तार और स्टाइलिश तरीके से होती है। शानदार बैकग्राउंड स्कोर, हाई-टेक गैजेट्स, और चमचमाती दुनिया में रचा गया यह हीस्ट ड्रामा पहले 30 मिनट में ही दर्शकों को फिल्म से जोड़ देता है। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, कुछ लोगों को इसकी स्क्रिप्ट और क्लाइमेक्स में कमज़ोरियाँ नज़र आने लगती हैं।
सैफ अली खान, जो लंबे समय से अपने करियर में अलग-अलग शेड्स वाले किरदार निभाते आ रहे हैं, इस बार एक स्मार्ट और चालाक चोर की भूमिका में हैं, जो सिस्टम को मात देने का प्लान बनाता है। उनकी डायलॉग डिलीवरी और स्टाइल हमेशा की तरह प्रभावशाली है, लेकिन कुछ समीक्षक मानते हैं कि उनके किरदार को ज़्यादा गहराई मिल सकती थी। वहीं जयदीप अहलावत, जो हमेशा ही अपनी एक्टिंग से छाप छोड़ते हैं, इस बार भी दर्शकों को निराश नहीं करते। उनके एक्सप्रेशन्स और इंटेंस निगाहें उनके किरदार को जीवंत बना देती हैं।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी की बात करें तो कैमरा वर्क और लाइटिंग में इंटरनेशनल टच नज़र आता है। चेज़ सीन, बैंक रॉबरी, और क्लाइमेक्स का विज़ुअल ट्रीटमेंट बहुत शानदार है। लेकिन जिस स्क्रिप्ट को मजबूत होना चाहिए था, वह कुछ जगहों पर ढीली पड़ती है। खासकर इंटरवल के बाद, जब फिल्म की गति धीमी हो जाती है और दर्शकों को कहानी से जुड़ाव बनाए रखने में मुश्किल होती है।
कई दर्शकों और फिल्म समीक्षकों ने सोशल मीडिया पर अपनी राय खुलकर रखी है। कुछ ने इस फिल्म को ‘स्टाइलिश लेकिन खोखली’ कहा है, जबकि कुछ इसे ‘मास एंटरटेनर’ और ‘वन टाइम वॉच’ कह रहे हैं। दर्शकों में दो मत स्पष्ट रूप से नज़र आ रहे हैं—एक वो जो फिल्म को इसकी एक्टिंग, प्रोडक्शन क्वालिटी और थीम के लिए पसंद कर रहे हैं, और दूसरे वो जिन्हें इसकी स्क्रिप्ट और निर्देशन में कुछ अधूरापन महसूस हो रहा है।
फिल्म की रिलीज़ से पहले इसे लेकर जो प्रचार किया गया था, उससे उम्मीदें काफ़ी ऊंची हो गई थीं। खासकर जब सैफ अली खान जैसे बड़े नाम जुड़ते हैं, तो ऑडियंस उम्मीद करती है कि कंटेंट दमदार होगा। लेकिन यह फिल्म उन उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी, यह पूरी तरह दर्शकों की पसंद पर निर्भर करता है। कुछ को इसमें ‘सेक्रेड गेम्स’ वाला सैफ नज़र आया, तो कुछ को यह किरदार अधूरा और जल्दबाज़ी में लिखा हुआ लगा।
फिल्म के डायलॉग्स में स्मार्टनेस की कमी नहीं है। कुछ सीन्स में शार्प ह्यूमर है तो कुछ में सस्पेंस को बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन कहानी का प्रवाह कुछ हद तक अनियमित रहता है। निर्देशक ने कोशिश तो की है कि हर किरदार को स्क्रीन टाइम और महत्व मिले, लेकिन सैफ और जयदीप के अलावा बाकी पात्र उतने दमदार नहीं लगते। यही कारण है कि फिल्म पूरी तरह से एक बायपोलर अनुभव बन जाती है—कभी ज़ोरदार तो कभी निराशाजनक।
फिल्म का म्यूज़िक कम लेकिन सटीक है। कोई फुल-फ्लेज म्यूज़िकल नंबर नहीं है, लेकिन बैकग्राउंड स्कोर कहानी के तनाव को अच्छे से हैंडल करता है। प्रोडक्शन वैल्यू बहुत हाई है और एक ओटीटी फिल्म के लिहाज़ से यह विज़ुअली काफी समृद्ध लगती है।
इस फिल्म की खासियत इसका टॉपिकल होना भी है। आज की दुनिया में जहां डिजिटल ट्रैकिंग, साइबर क्राइम और हाई-टेक हीस्ट्स आम हो गए हैं, वहीं यह फिल्म इन्हीं मुद्दों को अपनी कहानी में पिरोती है। लेकिन एक सशक्त संदेश देने के बजाए यह एंटरटेनमेंट पर ज़्यादा फोकस करती है, जिससे कुछ दर्शकों को इसकी गंभीरता की कमी महसूस होती है।
OTT दर्शकों के लिए कंटेंट की कोई कमी नहीं है, और ऐसे में हर नई फिल्म को खुद को साबित करना होता है। ‘ज्वेल थीफ’ ने खुद को स्टाइल, एक्टिंग और हाई-क्लास प्रोडक्शन से तो साबित किया है, लेकिन क्या यह कहानी और निर्देशन में भी उतना ही मजबूत है? इस पर दर्शकों के मत बंटे हुए हैं।
अगर आप थ्रिलर, मिस्ट्री और स्टाइलिश क्राइम ड्रामा के शौकीन हैं, तो यह फिल्म एक बार ज़रूर देखी जा सकती है। लेकिन अगर आप एक गहरी और टाइट स्क्रिप्ट की तलाश में हैं, तो हो सकता है कि यह फिल्म आपके लिए थोड़ा कमज़ोर साबित हो।
फिलहाल सोशल मीडिया पर इसकी तुलना हॉलीवुड के कुछ हीस्ट ड्रामा से भी हो रही है, लेकिन वहां भी दर्शकों की राय बंटी हुई है। कुछ यूज़र्स इसे ‘इंडियन ओशन्स 11’ बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे ‘स्टाइल ओवर सब्स्टेंस’ की कैटेगरी में डाल रहे हैं।
फिल्म का अंत दर्शकों के लिए थोड़ा ओपन एंडेड छोड़ दिया गया है, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद इसका सीक्वल भी जल्द ही आए। अगर ऐसा होता है, तो निर्देशक और लेखक को इस बार स्क्रिप्ट पर ज़्यादा ध्यान देना होगा, क्योंकि अभिनय और विज़ुअल्स से ही कहानी नहीं चलती—मजबूत प्लॉट ही फिल्म को यादगार बनाता है।
निष्कर्ष:
‘ज्वेल थीफ’ एक ऐसी फिल्म है जो अपने टॉप-क्लास विज़ुअल्स, करिश्माई कलाकारों और आधुनिक सेटअप से ध्यान खींचती है, लेकिन अपनी कहानी और गहराई में थोड़ी पीछे रह जाती है। यह फिल्म न तो पूरी तरह बोर करती है, न ही पूरी तरह बांध पाती है। यह एक ऐसी कोशिश है जो अधूरी लेकिन स्टाइलिश है। ओटीटी की भीड़ में यह फिल्म कुछ देर के लिए याद रहेगी, लेकिन क्या यह क्लासिक बनेगी? इसका जवाब शायद अगली किस्त ही दे पाएगी।