“PNB घोटाले में नया मोड़: अमेरिका में गिरफ्तार हुए नेहल मोदी, भारत लाने की तैयारी शुरू” “Nirav Modi Arrested in the US in PNB Scam Case, India Pushes for Extradition”

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले से जुड़े एक बड़े घटनाक्रम में, भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी भारत सरकार के उस अनुरोध के बाद हुई है जिसमें उन्होंने अमेरिका से नेहल को प्रत्यर्पित करने की मांग की थी। नेहल पर आरोप है कि उन्होंने नीरव मोदी के साथ मिलकर भारत में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया और उसके बाद देश से फरार हो गए।

भारत की केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेहल मोदी के खिलाफ सबूतों का एक विस्तृत पुलिंदा तैयार किया था, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे उन्होंने न केवल इस घोटाले में अहम भूमिका निभाई बल्कि जानबूझकर सबूत मिटाने की कोशिश भी की। बताया जा रहा है कि नेहल ने विदेश में कई शेल कंपनियों का इस्तेमाल कर मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया को अंजाम दिया। इसके अलावा, उन्होंने बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए फर्जी दस्तावेजों और गारंटी लेटर के जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन किया।

नेहल मोदी की गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण को लेकर आवाज़ उठा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार ने कई बड़े भगोड़े उद्योगपतियों—जैसे विजय माल्या, मेहुल चोकसी, और नीरव मोदी—के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज की है। नेहल की गिरफ्तारी को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

नेहल फिलहाल अमेरिका में न्यायिक हिरासत में हैं और जल्द ही अदालत में पेश किए जाने की संभावना है। भारतीय अधिकारियों ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी, और आपराधिक षड्यंत्र जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। अमेरिका में उनकी गिरफ्तारी भारत की ओर से भेजे गए औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध के तहत हुई है, जिसमें उनके अपराधों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि नेहल मोदी की भारत वापसी से न केवल जांच को मजबूती मिलेगी, बल्कि इससे नीरव मोदी और उनकी कंपनियों के खिलाफ केस में नए तथ्य भी सामने आ सकते हैं। नेहल पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने भाई नीरव को भारत से भागने में मदद की थी और उसके बाद विदेशी बैंक खातों के ज़रिए पैसे को इधर-उधर किया।

इस घोटाले की शुरुआत 2018 में हुई थी जब पंजाब नेशनल बैंक ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई थी। यह मामला देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक बन गया था, जिसमें लगभग ₹13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी। इस घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं। भारत में इसकी जांच पिछले छह वर्षों से जारी है और इस दौरान कई गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं।

नेहल मोदी को कई बार भारत लौटने के लिए समन भी भेजा गया था लेकिन उन्होंने हर बार इससे इनकार किया। उनके खिलाफ एक रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था, जिससे इंटरपोल और अन्य एजेंसियों को उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने में मदद मिली। अब जब वह अमेरिका में हिरासत में हैं, तो भारत सरकार उनकी वापसी के लिए कानूनी कार्रवाई को तेज कर रही है।

नेहल मोदी की भूमिका सिर्फ मनी ट्रांसफर तक ही सीमित नहीं रही। जांच एजेंसियों के अनुसार, उन्होंने मामले से जुड़े डिजिटल दस्तावेज नष्ट किए, फर्जी दस्तावेजों का निर्माण करवाया और जांच को गुमराह करने की कोशिश की। इसके अलावा, उन्होंने विदेशी निवेश के नाम पर भी पैसों को छुपाने की कोशिश की।

भारत की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों में नेहल मोदी की भूमिका को बेहद गंभीर और घातक बताया गया है। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने एक संगठित अपराध की तरह काम किया, जिसमें बड़े स्तर पर योजना बनाकर बैंकिंग व्यवस्था को धोखा दिया गया। उनके खिलाफ मौजूद साक्ष्य इतने ठोस हैं कि अदालत उन्हें भारत भेजने के लिए सहमत हो सकती है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि अमेरिका की अदालत इस प्रत्यर्पण पर क्या निर्णय लेती है। यदि नेहल को भारत भेजा जाता है, तो इससे नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर कानूनी शिकंजा और कस सकता है। इससे जांच एजेंसियों को कई तकनीकी और फाइनेंशियल डिटेल्स प्राप्त हो सकते हैं, जो अब तक छिपे हुए थे।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आर्थिक अपराध करने वाले चाहे कहीं भी छिपे हों, भारत सरकार उन्हें न्याय के कटघरे तक लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। नेहल मोदी की गिरफ्तारी उस दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है। इससे न केवल इस केस में नई जान आएगी बल्कि भविष्य के लिए यह एक मिसाल भी बनेगी कि कानून से कोई ऊपर नहीं है।


निष्कर्ष:
नेहल मोदी की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट है कि भारत आर्थिक अपराधियों के खिलाफ अब पहले से कहीं अधिक संगठित और गंभीर रूप से कार्य कर रहा है। प्रत्यर्पण की यह कार्रवाई यदि पूरी होती है तो यह PNB घोटाले की जांच के लिए एक नई ऊर्जा साबित हो सकती है। साथ ही, यह संदेश भी जाएगा कि देश के वित्तीय तंत्र के साथ धोखा करने वाले अब दुनिया के किसी कोने में भी सुरक्षित नहीं हैं।


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