A building with statues of lions in front of it

“कमाख्या मंदिर विवाद: राजा रघुवंश की बहन और न्यूज एंकर पर नोटिस, मामला सांस्कृतिक भावनाओं से जुड़ा” | “Kamakhya Temple Row: Raja Raghuvanshi’s Sister and Journalist Summoned Amid Religious Sensitivity”

भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और विविधता से भरे देश में धार्मिक आस्था से जुड़ी किसी भी टिप्पणी को लेकर विवाद पैदा होना कोई नई बात नहीं है। मगर जब मामला देश के एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ कमाख्या मंदिर से जुड़ा हो, तो उसकी गूंज सिर्फ स्थानीय नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देती है। हाल ही में ऐसा ही मामला सामने आया, जब एक टेलीविजन चैनल की डिबेट में दिए गए कुछ विवादास्पद बयान ने असम समेत पूरे देश में आस्था रखने वालों को आहत कर दिया। इस बयान में मंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को लेकर ऐसी बात कही गई, जिसे बहुत से लोग अपमानजनक मान रहे हैं।

यह मामला तब गर्माया जब एक टीवी चैनल पर लाइव बहस के दौरान, एक न्यूज एंकर और राजा रघुवंश की बहन श्रष्टी रघुवंश द्वारा कमाख्या मंदिर के बारे में टिप्पणी की गई। चर्चा किसी और विषय पर थी, लेकिन बातचीत के दौरान श्रष्टी ने यह कहा कि कमाख्या मंदिर में “बलि की प्रथा” आज भी जारी है और वहां पर “कुछ ऐसे कर्मकांड होते हैं जो आम श्रद्धालुओं को नहीं बताए जाते।” इस पर एंकर ने भी कथित तौर पर इस टिप्पणी का समर्थन किया। सोशल मीडिया पर इस बयान के वायरल होते ही कई यूज़र्स ने इसे हिंदू धार्मिक आस्था का अपमान बताया और कार्रवाई की मांग की।

श्रष्टी रघुवंश, जो इंदौर की रहने वाली हैं और हाल ही में अपने भाई राजा रघुवंश की हत्या के केस को लेकर मीडिया में काफी सक्रिय रही हैं, उन पर पहली बार किसी धार्मिक टिप्पणी को लेकर विवाद हुआ है। उनके इस बयान को कई संगठनों ने “धार्मिक उकसावे” के रूप में देखा, खासकर जब बात एक ऐसे शक्तिपीठ की हो, जहां लाखों श्रद्धालु हर साल आस्था के साथ दर्शन करने आते हैं।

गुवाहाटी पुलिस ने संज्ञान लेते हुए श्रष्टी और एंकर दोनों को नोटिस जारी कर दिया है, जिसमें उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया है। पुलिस का कहना है कि यह मामला भारतीय दंड संहिता की उन धाराओं के अंतर्गत आता है जो धार्मिक भावनाएं भड़काने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने से संबंधित हैं। दोनों से यह पूछा जाएगा कि उन्होंने यह टिप्पणी किस आधार पर की, क्या उन्होंने किसी प्रामाणिक स्रोत से यह जानकारी प्राप्त की थी, और यदि नहीं, तो क्या वे इसके लिए खेद प्रकट करने को तैयार हैं।

कमाख्या मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है और यह देवी सती की योनि के गिरने का स्थल माना जाता है। यह मंदिर ना केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि तांत्रिक साधना के केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां हर साल अंबुबाची मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं और मान्यता है कि इन दिनों मां कामाख्या रजस्वला होती हैं। मंदिर की परंपराएं और रीति-रिवाज कई लोगों के लिए गूढ़ हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन पर बिना जानकारी के कोई बयान दे दिया जाए।

इस विवाद के बाद असम के स्थानीय संगठनों और मंदिर से जुड़े लोगों ने भी विरोध दर्ज कराया है। कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल का अपमान नहीं है, बल्कि असम की सांस्कृतिक विरासत पर भी आघात है। सोशल मीडिया पर #RespectKamakhyaTemple और #BoycottTVAnchor जैसे ट्रेंड्स चल पड़े हैं। हजारों लोगों ने कमेंट्स में गुस्से और अपमान की भावना जताई है।

टीवी चैनल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अंदरखाने से यह खबर है कि चैनल प्रबंधन इस पूरे मामले की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही एंकर से स्पष्टीकरण लिया जाएगा। चैनल के कुछ सूत्रों ने कहा है कि संभव है कि मामला तूल पकड़ने से पहले ही एक औपचारिक माफी जारी कर दी जाए, ताकि किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।

वहीं श्रष्टी रघुवंश की ओर से भी अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि उनका इरादा किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। उनका मकसद केवल चर्चा के दौरान एक “पुरानी मान्यता” को सामने लाना था, जिसे लोगों ने अपने तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश कर दिया।

पुलिस का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है और यदि जरूरत पड़ी, तो दोनों को व्यक्तिगत रूप से पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैलाई जा रही अफवाहों पर भी नज़र रखी जा रही है, ताकि कोई और इस मुद्दे को भड़काने की कोशिश न करे।

यह पूरा मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि मीडिया, खासकर लाइव डिबेट्स में बैठे वक्ताओं को अपनी भाषा और संदर्भ के प्रति अधिक जिम्मेदार होना होगा। किसी भी धार्मिक स्थल, खासकर शक्ति पीठों जैसे कमाख्या मंदिर को लेकर टिप्पणी करते समय प्रमाणिक जानकारी, ऐतिहासिक तथ्यों और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

आज के समय में जब हर एक बयान सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों लोगों तक पलक झपकते पहुंच जाता है, तो जिम्मेदार पत्रकारिता और समझदारी भरी बातों की और भी ज्यादा जरूरत है। नहीं तो इस तरह की घटनाएं केवल धार्मिक उन्माद ही नहीं, बल्कि सामाजिक तानेबाने में भी दरार डाल सकती हैं।

फिलहाल देशभर में यह देखा जा रहा है कि लोग इस मामले पर भावुक हैं और यह मांग कर रहे हैं कि ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जो धार्मिक स्थानों को सनसनीखेज खबर बनाने का जरिया बनाते हैं।

अब देखना यह है कि पुलिस की जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या एंकर या श्रष्टी रघुवंश इस मामले में सफाई देती हैं या कानूनी रास्ते से गुजरते हुए इस विवाद को शांत किया जाएगा।


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