three men sitting inside mosque

वापसी के बावजूद इस्लाम मखाचेव को नहीं मिलेगा फौरन टाइटल शॉट, कहा गया – ‘लाइन में लगो’

UFC की दुनिया में जहां एक चैंपियन की वापसी आमतौर पर सीधा टाइटल शॉट दिलाती है, वहीं इस्लाम मखाचेव के साथ ऐसा नहीं होने जा रहा। हाल ही में सामने आए UFC के इंटरनल निर्णय और सूत्रों के हवाले से पता चला है कि लाइटवेट डिवीजन में वापसी कर रहे मखाचेव को सीधे खिताबी मुकाबला नहीं दिया जाएगा। उन्हें टाइटल के लिए दोबारा लड़ने से पहले रैंकिंग में अपनी स्थिति फिर से साबित करनी होगी।

मखाचेव, जो लंबे समय तक लाइटवेट डिवीजन के डॉमिनेंट चैंपियन रहे हैं और Khabib Nurmagomedov के करीबी शिष्य माने जाते हैं, पिछले कुछ समय से वेल्टरवेट में संभावनाएं तलाश रहे थे। लेकिन अब जब वह दोबारा अपने पुराने डिवीजन में लौटने की सोच रहे हैं, तो UFC ने उन्हें दो टूक शब्दों में कह दिया है — “Get in line.”

टाइटल शॉट से वंचित क्यों?

UFC के अनुसार, मखाचेव की गैरमौजूदगी के दौरान लाइटवेट डिवीजन में कई अन्य फाइटर्स ने खुद को साबित किया है। मौजूदा टॉप कंटेंडर्स जैसे कि Arman Tsarukyan, Dustin Poirier, Justin Gaethje और Charles Oliveira जैसे नाम अब उस कतार में सबसे आगे हैं, जहां मखाचेव को दोबारा प्रवेश करना होगा।

UFC प्रेसीडेंट डैना व्हाइट ने स्पष्ट कर दिया है कि UFC अब फाइटर्स को सिर्फ नाम या पुरानी उपलब्धियों के आधार पर टाइटल शॉट नहीं देगा। उन्होंने कहा कि “हर फाइटर को अब अपने प्रदर्शन से टिकट कमाना होगा। हम पुराने रिकॉर्ड्स की बजाय हाल की एक्टिविटी को प्राथमिकता दे रहे हैं।”

मखाचेव की प्रतिक्रिया

इस फैसले पर मखाचेव की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन MMA समुदाय के कुछ करीबी सूत्रों का कहना है कि वह इस फैसले से हैरान और थोड़ा निराश हैं। मखाचेव खुद को अभी भी डिवीजन का सबसे खतरनाक फाइटर मानते हैं और उन्होंने पहले भी कई बार कहा है कि उन्हें दोबारा खुद को साबित करने की जरूरत नहीं है।

हालांकि उन्होंने कुछ समय पहले संकेत दिया था कि यदि UFC उन्हें वेल्टरवेट चैंपियन लियोन एडवर्ड्स से भिड़ने का मौका दे, तो वे उसे भी स्वीकार करेंगे। लेकिन उस दिशा में बातचीत अभी थमी हुई लगती है।

डिवीजन की मौजूदा स्थिति

UFC के लाइटवेट डिवीजन में इस समय मुकाबला काफी कांटे का है। अर्जमेन सायरुक्यान ने हाल ही में डस्टिन पॉइरियर को हराकर खुद को एक प्रबल दावेदार के रूप में स्थापित किया है। चार्ल्स ओलिवेरा और जस्टिन गेथजे जैसे पुराने खिलाड़ी भी खिताब के एक कदम दूर हैं।

ऐसे में मखाचेव की वापसी से निश्चित रूप से डिवीजन में उत्साह बढ़ा है, लेकिन UFC की नई नीति के चलते उन्हें भी बाकी फाइटर्स की तरह रैंकिंग के आधार पर आगे बढ़ना होगा। यह एक तरह से UFC द्वारा फेयर प्ले का संदेश भी है।

फैंस और फाइटिंग कम्युनिटी की प्रतिक्रिया

UFC फैंस के बीच इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ फैंस मखाचेव की सक्षमता और पुराने रिकॉर्ड्स को देखकर मानते हैं कि उन्हें तुरंत टाइटल शॉट मिलना चाहिए, वहीं दूसरी ओर बहुत से लोग मानते हैं कि खेल की निष्पक्षता के लिए हर फाइटर को बराबर का मौका मिलना चाहिए, चाहे उसका नाम या पिछला रिकॉर्ड कुछ भी रहा हो।

वहीं MMA विश्लेषकों का कहना है कि UFC अब ऐसे मॉडल की ओर बढ़ रहा है जहां टाइटल शॉट किसी की लोकप्रियता नहीं, बल्कि हालिया प्रदर्शन और एक्टिव भागीदारी से तय होंगे।

क्या आगे होगा?

अब जब मखाचेव को सीधे खिताबी मुकाबला नहीं मिल रहा है, तो उनके पास दो विकल्प बचते हैं — या तो वे किसी टॉप रैंक कंटेंडर से पहले फाइट करें और जीत दर्ज करके अपनी दावेदारी मजबूत करें, या फिर वेट करें कि डिवीजन में कोई अवसर खुद बनकर सामने आए। सूत्रों के अनुसार, मखाचेव बनाम Tsarukyan 2 जैसी कोई हाई-प्रोफाइल फाइट संभव है, जो इस स्थिति में संतुलन बना सकती है।

निष्कर्ष

इस्लाम मखाचेव जैसे स्टार फाइटर को सीधे टाइटल शॉट न मिलने का फैसला निश्चित रूप से बड़ा है, लेकिन UFC का यह कदम दिखाता है कि अब कंपनी प्रदर्शन और निरंतरता को प्राथमिकता दे रही है। अब मखाचेव को एक बार फिर वह करना होगा जो उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत में किया था—एक-एक फाइट जीतकर चैंपियन बनने की सीढ़ी चढ़ना।

क्या मखाचेव फिर से उस मुकाम तक पहुंच पाएंगे? यह आने वाले महीनों में होने वाले मुकाबले तय करेंगे। फिलहाल, उन्हें “लाइन में लगने” को कहा गया है—और यह लाइन अब पहले से कहीं ज्यादा लंबी और कठिन हो चुकी है।


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