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अहमदाबाद विमान हादसा: मौतों की बढ़ती संख्या का सच और अमित शाह की बड़ी सफाई | Ahmedabad Plane Crash Tragedy: Why Death Toll Rose, Explained by Amit Shah

12 जून 2025 की सुबह अहमदाबाद एक भयानक हादसे का गवाह बना, जिसने न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो लंदन के लिए रवाना हुई थी, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान में कुल 261 यात्री और 12 क्रू सदस्य सवार थे, लेकिन यह दुर्घटना सिर्फ इन लोगों तक सीमित नहीं रही। हादसे का असर जमीन पर मौजूद आम नागरिकों, हॉस्टल में रह रहे मेडिकल छात्रों और आसपास की इमारतों तक फैला, जिससे मौतों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस घटना को लेकर अहम जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि आंकड़ों में यह उछाल क्यों आया और इसके पीछे असली कारण क्या हैं।

शुरुआत में जब हादसे की खबर सामने आई, तब बताया गया कि लगभग 204 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। लेकिन जैसे-जैसे रेस्क्यू ऑपरेशन तेज़ हुआ और घटनास्थल पर विस्तृत जांच शुरू हुई, यह संख्या बढ़ती चली गई। कुछ घंटों के अंदर ही मरने वालों का आंकड़ा 240 पार कर गया और अगले दिन यह आंकड़ा 286 तक पहुंच गया। जनता और मीडिया में सवाल उठने लगे कि जब विमान में 270 से भी कम लोग थे, तो आंकड़ा इससे अधिक कैसे पहुंच गया? इसी को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने बयान जारी किया और बताया कि यह संख्या केवल विमान में सवार लोगों की नहीं, बल्कि जमीन पर हादसे की चपेट में आए आम नागरिकों की भी है।

गृहमंत्री ने बताया कि यह हादसा उस वक्त और भी खतरनाक बन गया जब विमान एक रिहायशी इलाके से टकरा गया। BJ मेडिकल कॉलेज का हॉस्टल, जो रनवे से ज्यादा दूर नहीं है, इस दुर्घटना का मुख्य शिकार बना। हॉस्टल में सो रहे छात्र, कर्मचारी और आसपास की दुकानों में काम कर रहे लोग अचानक हुए इस ब्लास्ट में झुलस गए या मलबे में दबकर जान गंवा बैठे। इन लोगों की मौत शुरुआत में दर्ज नहीं हो पाई थी क्योंकि ध्यान केवल विमान के भीतर सवार यात्रियों और क्रू तक सीमित था। लेकिन राहत और बचाव कार्य के दौरान जैसे-जैसे मलबे की खुदाई हुई, जमीन पर हुई तबाही का असली चेहरा सामने आया।

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विजय बछावत ने बताया कि हॉस्टल के B-ब्लॉक में 100 से ज्यादा छात्र सो रहे थे, जिनमें से 42 की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं 30 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं एयर इंडिया के प्रवक्ता ने यह स्पष्ट किया कि विमान में कोई तकनीकी खराबी के संकेत फिलहाल नहीं मिले हैं, लेकिन ब्लैक बॉक्स की रिपोर्ट आने के बाद ही कारणों की पुष्टि की जा सकेगी।

इस हादसे के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), एयरपोर्ट अथॉरिटी, और सिविल डिफेंस की कई टीमों को घटनास्थल पर तैनात किया गया। राहत कार्य में ड्रोन, इन्फ्रारेड कैमरा और स्निफर डॉग्स का भी इस्तेमाल किया गया ताकि मलबे में फंसे लोगों को निकाला जा सके। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और गृह मंत्री अमित शाह ने खुद घटनास्थल पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया और परिवारजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी।

अमित शाह ने बताया कि यह हादसा जितना बड़ा विमान में सवार लोगों के लिए था, उतना ही विनाशकारी वह जमीन पर मौजूद निर्दोष नागरिकों के लिए भी बन गया। उन्होंने बताया कि कई शव बुरी तरह से जल गए हैं, जिनकी पहचान डीएनए जांच से की जा रही है। यही कारण है कि मौत का आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ा और अभी भी 11 से अधिक लोग लापता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता अब राहत कार्यों के साथ-साथ जिम्मेदारी तय करने और पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाने की है।

सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹1 करोड़ का मुआवजा, गंभीर रूप से घायलों को ₹25 लाख और मामूली रूप से घायल लोगों को ₹10 लाख देने की घोषणा की है। इसके अलावा BJ मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की पूरी इमारत को फिर से निर्मित किया जाएगा और सुरक्षा मानकों को उच्च स्तरीय किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर गहरा दुख जताया और कहा कि यह समय देश के लिए एकजुट होकर खड़े होने का है। उन्होंने पीड़ितों के लिए हरसंभव सहायता का वादा किया और एयर इंडिया से इस घटना की पूर्ण जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

ब्लैक बॉक्स की जांच संयुक्त रूप से भारत के DGCA और अमेरिकी एजेंसी NTSB कर रही है क्योंकि यह विमान अमेरिकी निर्माण कंपनी बोइंग का था। टेक्निकल फॉल्ट, फ्लाइट इंस्ट्रूमेंट एरर या पायलट की चूक—हर एंगल से जांच की जा रही है।

इस दुर्घटना ने एयर ट्रैफिक सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या एयर इंडिया ने प्री-फ्लाइट टेक्निकल चेक सही तरीके से किया था? क्या एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने समय पर रिएक्शन दिया? क्या लैंडिंग पाथ या रनवे के पास की बिल्डिंग्स सुरक्षित हैं? ये सभी प्रश्न अब सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं।

आम जनता में इस हादसे को लेकर गुस्सा और दुख दोनों है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार और एयरलाइन से जवाब मांग रहे हैं, जबकि कई लोग मदद के लिए सामने भी आ रहे हैं। गुजरात विश्वविद्यालय के छात्रों ने राहत सामग्री जुटाकर अस्पतालों में पहुंचाई और कई स्थानीय एनजीओ अब पीड़ित परिवारों की मदद में जुटे हुए हैं।

निष्कर्ष के तौर पर, यह हादसा केवल एक विमान दुर्घटना नहीं रहा, बल्कि यह एक प्रशासनिक चेतावनी भी है कि हमारे एयरपोर्ट्स के आसपास की इमारतें, सुरक्षा मानक और आपातकालीन व्यवस्था कितनी तैयार हैं। अमित शाह ने जनता को भरोसा दिलाया है कि इस घटना से सबक लिया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन तब तक यह सवाल बना रहेगा — क्या यह हादसा रोका जा सकता था?

50news.in इस मुद्दे की पल-पल की जानकारी अपने पाठकों तक पहुंचाता रहेगा। हमारी पूरी संवेदनाएं मृतकों और पीड़ित परिवारों के साथ हैं।


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